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लेखनी -08-Mar-2022

✍️मानव शीर्षक से✍️  
🙏नारी दिवस विशेष🙏

आवश्यकता आविष्कार की है जननी। 
नारी संपूर्ण प्रकृति की प्रणेता है जननी। ।
विनाशक विस्तारक अग्रसक है जननी।
हर युग की पल्लवक पुष्पक है जननी। 

आज हम स्वीकार करें विकसित करेंगे।
 पालेंगे पोसेंगे गर्भ में न क्षति पहुंचाएंगे।।
विकसित करेंगे हम उस नन्ही कलि को।
वो घर-आंगन के खुशियों की है जननी।।

बेटी से बहन तक पत्नी से मां तक वह।
घर-आंगन की खुशियों की लक्ष्मी है वह।।
मानव,संपूर्ण शरीर का आधा अंग है वह।
भक्ति है प्रकृति है आदि सरूपा है जननी।।

लालन-पालन कत्री के नेक रूपो को नमन।
देवी सरस्वती बनकर बुद्धि विवेक हो देती।।
लक्ष्मी बनकर भोजन और संसाधन हो देती।
नारी के इन रूपों को नमन है नमन है जननी।।

          डॉ धर्मेंद्र सिंह 
        अगला अंक 125

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5 Comments

Dr.Dharmendra Singh

12-Mar-2022 09:23 PM

TQM

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Seema Priyadarshini sahay

10-Mar-2022 05:17 PM

बेहतरीन👌

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Lotus🙂

10-Mar-2022 12:52 PM

बेहतरीन

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